उत्तराखंड
वन पंचायत प्रबंधन में 12 साल बाद बदलाव, जानें क्या है नई नियमावली का प्रावधान…
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर वन पंचायत प्रबंधन में 12 साल बाद बदलाव किए गए हैं। उत्तराखण्ड कैबिनेट ने वन पंचायत के ब्रिटिश काल के अधिनियमों में संशोधन कर नई नियमावली को मंजूरी दी है। नई नियमावली के तहत अब नौ सदस्यीय वन पंचायत का गठन किया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश की 11217 वन पंचायतों को मजबूत और स्वावलंबी बनाने के लिए धामी कैबिनेट ने वन पंचायत संशोधन नियमावली पर मुहर लगा दी है। जिसमें ब्रिटिश काल के अधिनियमों में बदलाव कर वन पंचायतों को वित्तीय प्रबंधन के अधिकार दिए गए। बताया जा रहा है कि नई नियमावली में इको टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान हटाएगी। नियमावली अनुसार वन पंचायतों को अपने अपने क्षेत्रों में जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्षारोपण, जल संचय, वनाग्नि रोकथाम, इको टूरिज्म में भागीदारी का अधिकार मिलेगा।
वन पंचायतों को वन अपराध करने वालों से जुर्माना वसूलने का अधिकार दिया गया। वन पंचायतों को सीएसआर फंड या अन्य स्रोतों से मिली धनराशि को उनके बैंक खाते में जमा करने का अधिकार दिए जाने की भी व्यवस्था नए नियमावली में की गई है, जिससे वन पंचायतों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। वनों में कूड़ा निस्तारण को भी प्राथमिकता में रखा गया है। साथ ही ईको टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड भारत का एक मात्र राज्य है जहां वन पंचायत व्यवस्था लागू है। यह एक ऐतिहासिक सामुदायिक वन प्रबंधन संस्था है जो वर्ष 1930 से संचालित हो रही है। संशोधित नई नियमावली के बाद प्राप्त शुल्क को भी वन पंचायतों को अपने बैंक खाते में जमा करने का अधिकार होगा।