Connect with us

डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को इसलिए मिली पीएचडी की मानद उपाधि…

उत्तराखंड

डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को इसलिए मिली पीएचडी की मानद उपाधि…

ऋषिकेश। डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का रचना संसार ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 75 श्रृंखलाएं पूरी होने के अवसर पर आयोजित की जा रही दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी व हीरक जयंती समारोह के दूसरे दिन दो सत्र आयोजित किए गए। पहले सत्र में बाबा रामदेव समेत कई अन्य अतिथि मौजूद रहे, जिन्होंने डॉ निशंक के साहित्य, रचनाधर्मिता, कृतित्व और व्यक्तित्व को लेकर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम में डॉ. निशंक को नीदरलैंड की महर्षि इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की ओर से साहित्य सेवा और विश्व शांति के प्रयासों के लिए पीएचडी की मानद उपाधि भी प्रदान की गई। स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम का मुख्य अतिथि पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष व कुलाधिपति आचार्य बाबा रामदेव, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि जी महाराज, कार्यक्रम अध्यक्ष मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद के कुलपति प्रो. सैय्यद एनुल हसन, वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक कलाचंद साईं, ऋषि राज सुनील भगत, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ सुधा रानी पांडे, न्यूजीलैंड के प्रख्यात साहित्यकार रोहित कुमार हैप्पी, हिमालयीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पचौरी, प्रति कुलपति डॉ. राजेश नैथानी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

यह भी पढ़ें 👉  Obras psicológicas completas, Vol 20: Um estudo autoboigráfico, inibições, sintomas e ansiedade, análise leiga e outros trabalhos 1925-26 : Livros que Fazem Chorar

मुख्य अतिथि बाबा रामदेव ने कहा कि निशंक ज्ञान, भक्ति, सेवा साहित्य सृजन, पुरुषार्थ और समाज सेवा के योद्धा हैं। काशी, अयोध्या, बद्री-केदार से लेकर निशंक की साहित्य रचना तक सब कुछ अच्छा हो रहा है। यह सनातन का गौरवकाल है। हिमालय और गंगा पुत्र को साहित्य का यह सबसे बड़ा सम्मान प्रदान किया जा रहा है। निशंक का सम्मान पूरे हिमालय, पूरे सनातन का गौरव है। भारतीय शिक्षा बोर्ड की मान्यता उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हो चुकी है। आठवीं तक का पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिया है। सामाजिक विज्ञान और इतिहास के पाठ्यक्रम में जो जानबूझकर भ्रमित किया गया है, उसे सुधारने का प्रयास किया गया है। भाषा, विज्ञान और गणित समेत अन्य विषयों में वैदिक मूल्यों को शामिल किया जाएगा। बोर्ड में भारतीय भाषाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि चिदानंद मुनि महाराज ने जो कार्य सनातन के लिए किए हैं, उन्हें युगों-युगों तक याद रखा जाएगा। इस अवसर पर बाबा रामदेव द्वारा डॉ टोनी नाडर की पुस्तक चेतना का एक अंतहीन महासागर के हिंदी अनुवाद का का लोकार्पण किया गया।

यह भी पढ़ें 👉  Himo | [E-kirja EPUB]

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि परमार्थ निकेतन से वर्ष 2010 से स्पर्श गंगा अभियान के तहत गंगोत्री से गंगा सागर तक सर्व धर्म यात्रा निकाली गई थी। आज यह आध्यात्म और सनातन का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। भारत की नई शिक्षा नीति पूरी दुनिया के लिए गेम चेंजर साबित होगी। यह भारत को एक बार फिर विश्वगुरु बनाने की राह प्रशस्त करेगी। सम्मिलित प्रयासों से हम एक भारत-नए भारत, सशक्त भारत-श्रेष्ठ भारत का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के तमाम देशों में हिंदी की स्वीकार्यता बढ़ी है। सभी हिंदी साहित्यकार, शिक्षाविद, शोधार्थी और भाषा प्रेमी ठान लें तो यह दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन सकती है।

यह भी पढ़ें 👉  Orja : kaapatun tytön tie Sudanista Lontooseen : Ekirja (EPUB)

स्वामी चिदानंद मुनि सरस्वती ने कहा कि नई शिक्षा नीति दो सौ से अधिक वर्षों से चली आ रही मैकाले की शिक्षा नीति बदलने का काम करेगी। कार्यक्रम में वेद विश्व शांति अभियान के तहत प्रकाशित प्रो. टोनी नाडर की पुस्तक ‘चेतना का अंतहीन महासागर’ का विमोचन भी किया गया। डॉ. राजेश नैथानी ने बताया कि यह पुस्तक विज्ञान और आध्यात्म को जोड़ने का प्रयास है। डॉ. रहीम खान की डॉ निशंक के व्यक्तित्व और कृतित्व पर लिखित पुस्तक का भी विमोचन किया गया। दूसरे सत्र में समापन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने सभी प्रतिभागी साहित्यकारों और शिक्षाविदों को सम्मानित किया।

Continue Reading
Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड
Advertisement

ADVERTISEMENT

ADVERTISEMENT

Advertisement
Advertisement

ट्रेंडिंग खबरें

To Top