Connect with us

धर्म: जीवन और मौत के बीच का सत्य, पढ़ लीजिये क्या है…

उत्तराखंड

धर्म: जीवन और मौत के बीच का सत्य, पढ़ लीजिये क्या है…

आध्यात्म: संत तुकाराम अपने भक्तों की बातें ध्यान से सुनते थे और बहुत ही सोच-समझकर उनकी समस्याओं का हल बताते थे। एक दिन उनके पास एक भक्त आया और उसने कहा, ‘मैं देखता हूं कि आप बहुत निश्चिंत रहते हैं। कैसी भी समस्या आ जाए, आपको को उससे फर्क नहीं पड़ता है, हमेशा चेहरे पर मुस्कान ही रहती है। हम आपके साथ इतने समय हैं तो कम से कम आप हमें यही सूत्र बता दीजिए।’

तुकाराम उस व्यक्ति की बातें सुनते रहे और बोले, ‘क्या तुम जानते हो कि तुम सात दिनों के बाद मरने वाले हो।’
उस व्यक्ति ने ये बात सुनी कि मेरे गुरु कह रहे हैं कि सात दिन बाद मैं मरने वाला हूं तो उसके पास इस बात पर भरोसा करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। उसने कहा, ‘मैं आपको प्रणाम करता हूं, आप मेरे माथे पर हाथ रख दीजिए।’

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड में झमाझम बारिश, कई जिलों में बर्फबारी; अगले 5 दिन कैसा रहेगा मौसम

तुकाराम जी से विदा लेकर वह व्यक्ति वहां से अपने घर लौट आया। उसने सोचा कि अब जीवन के सात दिन ही बचे हैं, मरना तो है ही, इसलिए क्यों न मैं इन सात दिनों में आनंद से रहूं।

उस व्यक्ति ने जीवन में जो-जो पाप किए थे, उनका प्रायश्चित किया। जिन लोगों का अहित किया था, उनसे क्षमा मांगी। सभी के साथ प्रेम से रहना शुरू कर दिया। गुरु ने कह दिया था कि मृत्यु आने वाली है तो मौत का डर भी खत्म हो गया था।

यह भी पढ़ें 👉  विकास कार्यो को गति प्रदान करने हेतु गैरसैंण में रिक्त उप जिलाधिकारी के पद पर की नवीन तैनाती

इसी तरह छह दिन बीत गए, सातवां दिन आ गया। उस व्यक्ति ने सोचा कि क्यों न आज जीवन के अंतिम दिन गुरु के आश्रम जाऊं और गुरु के सामने ही प्राण त्याग दूं।

वह व्यक्ति तुकाराम जी के पास पहुंचा और बोला, ‘आपकी आज्ञा के अनुसार इन सात दिनों में मैंने अद्भुत जीवन जिया है और अब आपके सामने प्राण छोड़ना चाहता हूं।’

तुकाराम जी बोले, ‘जुग-जुग जियो।’

ये बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा, ‘गुरु जी मैं तो थोड़ी देर पहले ही आपके सामने प्राण त्यागने आया हूं। आपकी आज्ञा के अनुसार मेरे प्राण निकल भी जाएंगे, लेकिन अब आप तो कह रहे हैं कि खूब जियो।’

यह भी पढ़ें 👉  सेवा, सुशासन और विकास के 03 वर्ष: धामी सरकार ने जन सेवा और विकास का लिखा स्वर्णिम अध्याय

तुकाराम जी ने मुस्कान के साथ कहा, ‘मैंने तो तुम्हें बताया था कि मस्त कैसे रहा जाए। तुम अभी नहीं मरने वाले। वो तो मैंने तुम्हें संदेश दिया था कि एक न एक दिन तो मृत्यु आना ही है। तुमने मेरी बात का भरोसा करके सात दिन मान लिया। मृत्यु तो सत्तर साल के बाद भी आनी ही है तो क्यों न सत्तर साल भी वैसे ही जिया जाए जैसे सात दिन जिए।

सीख

जो व्यक्ति अपनी मृत्यु के बारे में सकारात्मक हो जाता है, वह आनंद के साथ जीने लगता है। मृत्यु अटल है, ये बात समझकर हमें सभी के साथ प्रेम से रहना चाहिए और गलत काम से बचना चाहिए।

धर्म: जीवन और मौत के बीच का सत्य, पढ़ लीजिये क्या है…

Continue Reading
Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

ट्रेंडिंग खबरें

To Top